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होली पर निबंध in hindi |

 मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है| वह हमेशा समाज में रहना पसंद करता है| उसकी सारी आवश्यकताओं की पूर्ति समाज द्वारा ही संभव है| प्राचीन काल से ही मानव उत्सव अथवा त्योहारों का प्रेमी रहा है| हमारे भारत देश में समय-समय और किसी न किसी त्योहारों का आयोजन होता रहा है| जैसे-
रक्षाबंधन, दिवाली, दशहरा, होली, ईद, क्रिसमस, आदि| इन उत्सवों से दैनिक कार्यों की थकान दूर हो जाती है| आपस में मित्रता का भाव भी उत्पन्न होता है|


होली त्यौहार मनाने का समय :-

प्राय: सभी उत्सव ऋतुऔ के उत्सव होते हैं|यह त्यौहार भी वसंत ऋतु का त्यौहार माना जाता है| यह त्यौहार फागुन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है| परंतु इसका प्रारंभ माघ पूर्णिमा से हो जाता है| अस्तु यह हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है| जिसकी अवधि 1 माह की होती है| संपूर्ण माह में होली के गीतों का आयोजन होता रहता है| इस त्योहार के समय न तो अधिक गर्मी पड़ती है और न ही अधिक सर्दी|


होली मनाए जाने के कारण:-


इस उत्सव के मनाने के संबंध में विभिन्न मत है वह अनेक कथाएं भी प्रचलित हैं| उन सभी कथाओं में यह कथा अधिक प्रसिद्ध है कि होली का अपने भाई हिरण्यकश्यप की आज्ञा मानकर प्रहलाद को गोदी में बैठा कर अग्नि में प्रवेश कर गए| किंतु भक्त पहलाद सकुशल निकल आया और होलिका वह जलकर भस्म हो गए| उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष या त्यौहार मनाया जाता है| पहलाद के सुरक्षित बचने के कारण ही लोग प्रसन्न होते हैं, और नाना प्रकार के गीत को गाते हैं| कुछ लोग इस प्रकार बताते हैं कि प्राचीन काल में या त्यौहार सामूहिक यज्ञ के रूप में मनाया जाता था| जिसमें अनं की आहुति देकर देवताओं को खुश किया जाता था| यह कथा भी किसी सीमा तक सत्य है, क्योंकि आज भी होली में गेहूं की बलिया भूनी जाती है|

 होली त्यौहार का वर्णन:-
इस त्यौहार के आगमन के पूर्व ही व्यक्ति रंग और गुलाल सीखना प्रारंभ कर देते हैं| प्रत्येक घर में नाना प्रकार के पकवान एवं मिठाइयां बनाई जाती है| सभी व्यक्ति बड़े सुंदर ढंग के मित्र-भाव उत्पन्न करके होली के मधुर गीत गाने लगते हैं, तथा आपस में रंग और गुलाल का आदान-प्रदान करते हैं|
 रंग- क्रीडा के बाद सभी व्यक्ति स्वच्छ परिधान धारण करते हैं| और सभी व्यक्ति संपूर्ण-वर्ष के आपसी द्वेष भाव को भूलकर प्रेम पूर्वक एक दूसरे से मिलते हैं|

 होली त्यौहार के दोष और निवारण:-

 हिंदुओं का यह त्यौहार सबसे श्रेष्ठ त्योहार माना जाता है, फिर भी इस त्यौहार में कुछ दोष उत्पन्न हो गए हैं| इस त्यौहार में प्राय देखा जाता है कि व्यक्ति शराब,भांग, गाजा आदि मादक वस्तुओं का प्रयोग बड़ी मात्रा में करते हैं| तथा कुछ अपशब्दों का प्रयोग भी किया जाता है| रंग और गुलाल के स्थान पर गोबर कीचड़ डालकर होली खेलते हैं| इससे बहुतों को चोट लग जाती है तथा कहीं-कहीं पर धन-जन की भी हानी होती है| भारतीय संपत्ति जैसे- रेल,बस आदि पर पथराव एवं कीचड़ फेंका जाता है| टूट-फूट होकर व्यक्ति घायल हो जाते हैं| कहीं-कहीं पर बृहद रूप भी खड़ा हो जाता है| इस प्रकार की बहुत सी  कुप्रथाएं, बुराइयां एवं कुरीतियां प्रचलित है, जिस को दूर करना नितांत आवश्यक है|

उपसंहार:- हमारा कर्तव्य है कि हमें त्यौहारों को वास्तविक उघद्देश्य समझकर आपस में प्रेम भावनाओं के साथ त्योहार मनाना चाहिए| नाना प्रकार की कुरीतियों एवं दोषों का त्याग करके त्यौहार को उचित सम्मान देना चाहिए तथा सामाजिकता का आदर्श स्थापित करना चाहिए क्योंकि व्यक्ति समाज से ही नागरिकता का पाठ सीखता है|

                    happy Holi

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