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वीर सावरकर ( विनायक दामोदर सावरकर ) का जीवन परिचय |

 वीर सावरकर ( विनायक दामोदर सावरकर ) का जीवन परिचय|Biography of Veer Savarkar (Vinayak Damodar Savarkar) 


वीर सावरकर ( विनायक दामोदर सावरकर ) का जीवन परिचय |

    वीर सावरकर का पूरा नाम 'विनायक दामोदर सावरकर' था| अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध भारत की स्वतंत्रता के लिए वीर सवाकर का जन्म 28 मई, 1883 ईस्वी को नासिक के भगूर गांव में हुआ| उनके पिता का नाम दामोदरपंत एवं उनकी माता का नाम राधाबाई था| विनायक दामोदर सावरकर, 20वीं शताब्दी के सबसे बड़े हिंदूवादी थे| उन्होंने जीवन भर हिंदूूूूूू हिंदी हिंदुस्तान के लिए कार्य किया|
    वह अखिल भारत हिंदू महासभा की 6 बार राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए| 1937 में वे 'हिंदू महासभा' के अध्यक्ष चुने गए| और 1938 मे हिंदू महासभा को राजनीतिक दल घोषित किया गया था| 1940 ई. मे वीर सावरकर ने पुणे में ' अभिनव भारती' नामक एक क्रांतिकारी संगठन का स्थापना की, सवाकर 1911 से 1921 तक अंडमान जेल (सेल्यूलर जेल) में रहे और 1948 ईस्वी में महात्मा गांधी की हत्या में उनका हाथ होने का संदेह हाथ होने का संदेह किया गया|
    इतनी मुश्किलों के बाद भी वे झुके नहीं और उनका देश प्रेम का जज्बा बरकरार रहा और अदालत को उन्हें तमाम आरोपों से मुक्त कर बरी करना पड़ा| मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना अर्पित कर चुका हूं| देश सेवा में ईश्वर सेवा है, यह मानकर मैंने तेरी सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की- वीर सावरकर
    सावरकर दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे| जिनका मामला हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में चला था| वे प्रथम क्रांतिकारी थे| जिन पर स्वतंत्र भारत की सरकार ने झूठा मुकदमा चलाया, और बाद में निर्दोष साबित होनेे पर माफी मांगी|उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की जिसमें भारतीय युद्ध ,मेरा आजीवन कारावास, और अंडमान की अंडमान प्रतिध्वनियां ( सभी अंग्रेजी में ) अधिक प्रसिद्ध है| जेल में 'हिंदुत्व' पर शोध ग्रंथ लिखा|
वीर सावरकर ( विनायक दामोदर सावरकर ) का जीवन परिचय| Biography of Veer Savarkar (Vinayak Damodar Savarkar) |
वीर सावरकर
     सावरकर एक प्रख्यात समाज सुधारक थे| उनका दृढ़ विश्वास था, की सामाजिक एवं सार्वजनिक सुधार बराबरी का महत्व रखते हैं, वह एक दूसरे के पूरक हैं| सावरकर जी को कई बार जेल जानी पड़ी|
    सावरकर जी का मृत्यु  26 फरवरी, 1966 में मुंबई में हुई थी| 1966 में वीर सवारकर के निधन भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया है इनके नाम पर ही पोर्ट ब्लेयर के विमानक्षेत्र का नाम वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा रखा गया है|

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