शुल्क मुक्ति के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना
पत्र, in hindi ( पत्र-लेखन )
पत्र-परिचय ( Letter introduction ):-
इसे भी पढ़ना मत भूलें—
अन्य कलाओं की भांति पत्र लेखन भी एक कला है किसी कला में सिद्धहस्त होने के लिए अभ्यास करने की आवश्यकता होती है क्योंकि कहा भी गया है, कि-
' करत-करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान |
रस्सी के आवत जात ते सिल पर होत निशान||'
पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें :-
- पत्र संक्षिप्त एवं प्रभावी भाषा में हो|
- एक ही भाव की बार-बार आवृत्ति नो की जाए|
- प्रत्येक बात एक-दूसरे से संबंधित हो|
- पत्र जिसको लिखा जाए उसकी उपस्थिति अपने सम्मुख मानकर ही पत्र लिखना चाहिए|
- कोई ऐसे असभ्यतापूर्ण शब्द न अंकित किए जाएं जिसके लिए शर्मिंदा होना पड़े| याद रखिए- लिखा हुआ वाक्य और धनुष से छूटा हुआ तीर फिर कभी वापस नहीं आता|
- लेखन शैली इतना उत्तम ढंग हो कि पढ़ने वाले के हृदय में श्रद्धा उत्पन्न हो जाएं|
- सुंदर अक्षरों की बनावट, सफाई आदि बातें पत्र की सुंदरता में चार चांद लगा देती है|
- पत्र शैली इतनी सुंदर हो, कि उसे बार-बार पढ़ने की इच्छा बनी रहे|
शुल्क मुक्ति के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र, in hindi ( पत्र-लेखन )
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय इंटर कॉलेज, देवरिया|
विषय- शुल्क मुक्ति के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र|
महोदय,
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय इंटर कॉलेज, देवरिया|
विषय- शुल्क मुक्ति के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र|
महोदय,
प्रार्थी विद्यालय के निर्धन छात्रों में से भी अत्यंत निर्धन छात्र है| पिताजी की छाया एवं जीविका के साधनों से वंचित मां का एकमात्र पुत्र मैं ही हूं| निर्धनता के कारण भोजन, वस्त्र आदि की चिंता हमेशा सताती रहती है| एक देकर नौ उधार लेने की नौबत रहती है| निर्धनता मेरे लिए
Nice
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