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वर्ग और वर्गमूल की परिभाषा, अध्याय-2 ,कक्षा-8- Arman15


    वर्ग की परिभाषा—  जब किसी संख्या को उसी संख्या से दोबारा गुणा करने पर प्राप्त संख्या उस सख्या का वर्ग (Square)  कहलाता है। 

    अथवा
    जब किसी संख्या का घातांक 2 होता है, तो वह संख्या आधार संख्या का वर्ग (Square) कहलाता है। किसी संख्या का वर्ग (Square) उस संख्या की स्वयं के गुणा होता है। 

    वर्ग (Square) Kaise निकाले— 

    उदाहरण— 5² = 5×5 = 25 
    यहां पर 5 का वर्ग 25 है।

    1 से 20 तक के संख्याओं के वर्ग 

    1 से 20 तक के संख्याओं के वर्ग

    1 से 20 तक के संख्याओं के वर्ग 



    वर्गमूल की परिभाषा— किसी संख्या x का वर्गमूल √(x) या ( x )1/2 वह संख्या होती है जिसका वर्ग करने पर पुनः वह संख्या प्राप्त होती है.

    जैसे:- (√(x))2 = x आदि.

    (i) √25 = (25)½ = 5


    वर्गमूल को √ से प्रदर्शित करते है

    √ — यह संकेत अक्षर r का रूपांतरित रूप है. यह लैटिन शब्द Radi से से बना है जिसका अर्थ “मूल” होता है.


    वार्गमूल कैसे निकाले— वर्गमूल निकालने के दो तरीके हैं।

    (i) गुणनखंड विधि
    (ii) भाग विधि

    (i) गुणनखंड विधि द्वारा वर्गमूल ज्ञात करना— गुणनखंड विधि द्वारा किसी संख्या का वर्गमूल कैसे निकालते हैं।
    (i) दी गई संख्या के अभाज्य गुणनखंड कीजिए।
    (ii) समान गुणनखंडो जोड़े बनाइए।
    (iii) प्रत्येक जोड़े में से एक गुणनखंड लीजिए और इन गुणनखंडओं का गुणनफल ज्ञात कीजिए। इसको 2√ या √ से भी प्रदर्शित करते हैं।

    उदाहरण :— निम्नलिखित संख्याओं के गुणनखंड विधि द्वारा वर्गमूल ज्ञात कीजिए?
    (क) 576

    हल:  (क) 576

    576 = 2×2×2×2×2×2×3×3
    अत:
    √576 = √2×2×2×2×2×2×3×3
    576 = 2×2×2×3
    = 24
    1 से 20 तक के संख्याओं के वर्ग


    (ii) भाग विधि द्वारा वर्गमूल ज्ञात करना— अभाज्य गुणनखंड विधि द्वारा बड़ी संख्याओं का वर्गमूल निकालना कठिन होता है। इसलिए इसके लिए हम भाग विधि से वर्गमूल ज्ञात करते हैं।
    (i) इकाई अंक से प्रारंभ करके अंकों के प्रत्येक जोड़े पर दंड रेखा (—) खींचते हैं। यदि संख्या में अंकों की संख्या विषम है। तो सबसे बाई और 0 लगा देते हैं।
    (ii) वह बड़ी से बड़ी संख्या लेते हैं। जिसका वर्ग पहले आवर्त (जोड़े) के बराबर हो या छोटा हो।
    (iii) भाजक और भागफल के गुणनफल को पहले आवर्त को नीचे शेषफल के आगे लिखते हैं। यह नया भाज्य बन जाता है।
    (iv) अगली क्रिया में नया भाजक प्राप्त करने के लिए पहले भागफल का दोगुना लिखते हैं।
    (V) भाज्य में इकाई के अंक को छोड़कर प्राप्त संख्या में पहले भागफल के दोगुने से भाग देते हैं। जो भागफल आता है। उससे पहले भागफल के दोगुने के साथ बाई ओर लिखते हैं। इस प्रकार नया भाजक प्राप्त होता है। तथा भागफल को पिछले भागफल में इकाई के स्थान पर लिखते हैं।
    (vi ) इसी क्रिया को दोहराते हैं जब तक शेषफल 0 ना आ जाए।






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