Type Here to Get Search Results !

प्रताप नारायण मिश्र का जीवन-परिचय कक्षा 9 | Pratap Narayan Mishra Biography

प्रताप नारायण मिश्र की कविताएं प्रताप नारायण मिश्र बायोग्राफी प्रताप नारायण मिश्र in hindi प्रताप नारायण मिश्र ki jivani प्रताप नारायण मिश्र का जन्म प्रताप नारायण मिश्र का निबंध शिवमूर्ति प्रताप नारायण मिश्र की रचना प्रताप नारायण मिश्र की माता का नाम प्रताप नारायण मिश्र की रचनाएँ शिवमूर्ति निबंध प्रताप नारायण मिश्र pdf

{tocify} $title={Table of Contents}

प्रताप नारायण मिश्र का संक्षिप्त परिचय

प्रताप नारायण मिश्र का जीवन-परिचय
प्रताप नारायण मिश्र का जीवन-परिचय

लेखक लेखक का परिचय
जन्म–स्थान बैजे गांव (उन्नाव), उत्तर–प्रदेश
जन्म एवं मृत्यु सन् 1856 ई०, 1894 ई०
पिता का नाम संकटाप्रसाद (ज्योतिषी)
प्रमुख कृतियां कलि–कौतुक, हठी हम्मीर, प्रताप पियूष, मन की लहर, भारत–दुर्दशा, प्रताप समीक्षा, गौ–संकट
संपादक ‘ब्राह्मण’ एवं ‘हिंदुस्तान’
भाषा व्यवहारिक एवं खड़ीबोली
हिंदी साहित्य में स्थान हिंदी के प्रचार–प्रसार में विशिष्ट योगदान रहा।
Home Page Click Here

प्रताप नारायण मिश्र का जीवन–परिचय | Pratap Narayan mishr ka jivan Parichay

प्रताप नारायण मिश्र का जीवन–परिचय | Pratap Narayan mishr ka jivan Parichay
प्रताप नारायण मिश्र

जीवन–परिचय : पंडित प्रताप नारायण मिश्र का जन्म सन् 1856 ईस्वी में उन्नाव जिले के बैजे नामक गांव में हुआ था। प्रताप नारायण मिश्र के पिता का नाम संकटा प्रसाद था। संकटा प्रसाद एक विख्यात ज्योतिषी थे और इसी विद्या के माध्यम से हुए कानपुर में आकर बसे थे। पीता नहीं प्रताप नारायण मिश्र को भी ज्योतिषी शिक्षा देना चाहा, पर इनका मन उसमें नहीं रम सका। अंग्रेजी शिक्षा के लिए इन्होंने स्कूल में प्रवेश लिया, किंतु उनका मन अध्ययन में भी नहीं लगा। इन्होंने मन लगाकर किसी भी भाषा का अध्ययन नहीं किया। तथापि इन हिंदी, उर्दू, फारसी, संस्कृत और बांग्ला का अच्छा ज्ञान हो गया था। एक बार ईश्वर चंद्र विद्यासागर इन से मिलने आए तो इन्होंने उनके साथ हुई बातचीत बांग्ला भाषा में ही किया। वस्तुतः मिश्रा जी ने स्वाध्याय जो ज्ञान एवं अनुभव प्राप्त किया। उसे गद्य, पद्य और निबंध आदि के माध्यम से समाज को अर्पित कर दिया। मात्र 38 वर्ष की अल्पायु में ही सन 1894 ईस्वी में कानपुर में इनका निधन हो गया।

प्रताप नारायण मिश्र का साहित्यिक जीवन–परिचय | Pratap Narayan mishr ka sahityik jivan Parichay


साहित्यिक जीवन–परिचय : मिश्र जी ने अपना साहित्यिक जीवन ख्याल एवं लावनियो से प्रारंभ किया था, क्योंकि आरंभ में इनकी रूचि लोक–साहित्य का सृजन करने में थी। यहीं से ये साहित्यिक पथ के सतत प्रहरी बन गए। कुछ वर्षों के उपरांत ही ये गद्य–लेखन के क्षेत्र में उतर आएं। मिश्रा जी भारतेंदु हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व से प्रभावित होने के कारण उनको अपना गुरु मानते थे। उनकी जैसी ही व्यवहारिक भाषा शैली अपनाकर मिश्र जी ने कई मौलिक और अनुदित रचनाएं लिखीं तथा ‘ब्राह्मण’ एवम् ‘हिंदुस्तान’ नामक पत्रों का सफलता पूर्वक संपादन किया। भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की ‘कवि–वचन–सुधा’ से प्रेरित होकर मिश्रा जी ने कविताएं भी लिखी। इन्होंने कानपुर में एक ‘नाटक सभा’ की स्थापना भी की, जिसके माध्यम से पारसी थिएटर के समानांतर हिंदी का अपना रंगमंच खड़ा करना चाहते थे। यह स्वयं भारतेंदु जी की तरह एक कुशल अभिनेता थे। बंगला की अनेक ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद करके भी इन्होंने हिंदी साहित्य की श्रीवृद्धि की। इन की साहित्यिक विशेषताएं ही थी कि ‘दांत’, ‘भौ’, ‘धोखा’, ‘बात’, ‘मूंछ’– जैसे साधारण विषयों पर भी चमत्कारपूर्ण और और साधारण निबंध लिखें।

प्रताप नारायण मिश्र जी की कृतियां

मिश्र जी ने अपनी अल्पायु में ही लगभग 40 पुस्तकों की रचना की। इनमें अनेक कविताएं, नाटक, निबंध, आलोचनाएं आदि सम्मिलित हैं इनकी ये कृतियां मौलिक और अनुदित दो प्रकार की हैं।

मौलिक कृतियां

निबंध संग्रह

प्रताप पियूष’, ‘निबंध नवनीत’, ‘प्रताप समीक्षा’।

नाटक संग्रह

 'कलि प्रभाव', 'हठी हम्मीर', 'गी-संकट'

रूपक संग्रह

'कति कौतुक', 'भारत-दुर्दशा' | प्रहसन- 'ज्वारी-खुआरी', 'समझदार की मौत’।

काव्य संग्रह


 'मन की लहर', 'शृंगार-विलास', 'लोकोक्ति-शतक', 'प्रेम-पुष्पावली', 'दंगल खण्ड', 'तृप्यन्ताम्', 'ब्राडला- स्वागत', ‘मानस विनोद', 'शैव-सर्वस्व', 'प्रताप-लहरी' ।

सम्पादन

'ब्राह्मण' एवं 'हिन्दुस्तान'

अनूदित


 'पंचामृत', 'चरिताष्टक', 'वचनावली', 'राजसिंह', 'राधारानी', 'कथामाला', 'संगीत शाकुन्तल' आदि। इनके अतिरिक्त मिश्र जी ने लगभग 10 उपन्यासों, कहानी, जीवन चरितों और नीति पुस्तकों का भी अनुवाद किया, जिनमें राधारानी, अमरसिंह, इन्दिरा देवी चौधरानी, राजसिंह, कथा बाल संगीत आदि प्रमुख हैं। 

भाषा-शैली


सर्वसाधारण के लिए अपनी रचनाओं को प्राता बनाने के उद्देश्य से मिश्र जी ने सर्वसाधारण की बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है। इसमें उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है जैसे कलामुल्लाह, वर्ड ऑफ गॉड आदि। कहावतों, मुहावरों एवं ग्रामीण शब्दों के प्रयोग से उनके वाक्य में रत्न की भाँति ये शब्द जड़ जाते हैं, अतः भाषा प्रवाहयुक्त सरल एवं मुहावरेदार है। 

मिश्रा जी की भाषा शैली के प्रकार

मिश्र जी की शैली के दो रूप मिलते है- 
  1. हास्य-व्यंग्यपूर्ण विनोदात्मक शैली 
  2. गम्भीर विचारात्मक एवं विवेचनात्मक स शैली 'बात' मिश्र जी की हास्य-व्यंग्यप्रधान शैली में लिखा गया निबन्ध है।

उपसंहार

प्रिय छात्र एवं छात्राओं, आज के इस आर्टिकल में हमने पढ़ा कि प्रताप नारायण मिश्र का जीवन परिचय के बारे में सारी जानकारी आपको विस्तार पूर्वक मिल गई होगी। अगर आपको इनके जीवन परिचय से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव है, तो नीचे कमेंट अवश्य करें। अगर आपको प्रताप नारायण मिश्र जी की जीवन-परिचय अच्छा लगा हो। तो अपने दोस्तों के साथ सोशल-मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर अवश्य करें।

Tags—

प्रताप नारायण मिश्र की कविताएं, प्रताप नारायण मिश्र biography, प्रताप नारायण मिश्र in hindi, ​प्रताप नारायण मिश्र ki jivani, ​प्रताप नारायण मिश्र का जन्म
एल, प्रताप नारायण मिश्र का निबंध शिवमूर्ति, प्रताप नारायण मिश्र की रचना, प्रताप नारायण मिश्र की माता का नाम, प्रताप नारायण मिश्र की रचनाएँ, शिवमूर्ति निबंध प्रताप नारायण मिश्र pdf

लोग यह भी पढ़ते हैं—
Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad



close